बवासीर में क्या खाएं क्या नहीं : आजकल की असंयमित दैनिक दिनचर्या और खान–पान के कारण लोगों को कब्ज की शिकायत बहुत ज्यादा हो रही है। कब्ज के कारण ही लोगों को बवासीर की शिकायत हो जाती है। बवासीर हो जाने पर ज्यादातर लोगों को यह जानकारी नहीं होती है कि वह बवासीर में क्या खायें क्या नहीं (Diet plan for piles)। वैसे तो बवासीर की शिकायत हो जाने पर रोगी को भरपूर मात्रा में पानी, फल, सब्जियां और फाइबर युक्त भोजन का उपयोग करना चाहिए। बवासीर होने पर कब्ज उत्पन्न करने वाले भोजन का सेवन नही करना चाहिए‚ क्योंकि कब्ज होने से पाइल्स की समस्या बढ़ जाती है‚ जिसके कारण रोगी को मल त्यागते समय दर्द‚ जलन और सूजन की समस्यायें ज्यादा होने लगतीं है। आज के इस लेख में विस्तार से बतायेंगे कि बवासीर में क्या खायें क्या नहीं (Diet plan for piles)। बवासीर में क्या खायें क्या नहीं इससे पहले बवासीर के बारे में जानना बहुत जरूरी है–
Table of Contents
- 1 बवासीर क्या है
- 2 बवासीर के प्रकार
- 3 बवासीर में क्या खाएं क्या नहीं (Diet plan for piles)
- 3.1 बवासीर में सुपाच्य आहार के लाभ
- 3.2 बवासीर के रोग में पानी पीने के फायदे
- 3.3 बवासीर में अंकुरित अनाज खाने से फायदे
- 3.4 बवासीर में सेब खाने से फायदा
- 3.5 पाइल्स में नाशपाती खाने से लाभ
- 3.6 बवासीर की समस्या में फल खाने से लाभ
- 3.7 बवासीर में हरी और पत्तेदार सब्जियां खाने से लाभ
- 3.8 बवासीर में मठ्ठे के सेवन से लाभ
- 3.9 बवासीर में केले से लाभ
- 3.10 बवासीर में हर्बल चाय से लाभ
- 3.11 बवासीर में दही से लाभ
- 3.12 फलियां खाने से बवासीर में लाभ
- 4 बवासीर की समस्या में क्या नहीं खाना चाहिये
- 5 लोगों द्वारा पूंछे जाने वाले कुछ प्रश्न और उनके उत्तर
- 6 निष्कर्ष
बवासीर क्या है
बवासीर एक बहुत तकलीफ देने वाली बीमारी है। इस बीमारी दुनियाभर में हजारों लोग परेशान है। बवासीर को पाइल्स, हेमोरोइड्स और मूलव्याधि के नाम से भी जाना जाता है। बवासीर रोग मुख्यतः कब्ज होने के कारण हो जाती है। इसके अलावा यह मोटापे और महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान भी हो जाती है। अनुवांशिकता भी बवासीर होने का कारण हो सकता है। बवासीर की समस्या में गुदा के अंदर, बाहर और मलाशय के निचले भाग की शिराओं मे सूजन आ जाती है, सूजन आने की वजह से गुदाद्वारा के अन्दर की नसों की शिराओं में मस्से बन जाते हैं। इस बीमारी का इलाज जल्द से जल्द करना चाहिए। अगर इसका इलाज सही समय पर नही किया जाए तो तकलीफ बहुत बड़ जाती है और ये रोग अधिक पुराना होने जाने पर फिस्टुला या भगन्दर में बदल जाता है।
बवासीर के प्रकार
बवासीर मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है-
- खूनी बवासीर
- बादी बवासीर
खूनी बवासीर– इस प्रकार की बवासीर में एनल कैनॉल के अन्दर की नसों की शिराओं में सूजन आ जाती है‚ और सूजन आने के कारण उनमे मस्से बन जाते हैं। जब व्यक्ति सुबह मल त्यागने जाता है और कब्ज के कारण मल कठोर होने के कारण सूखा और कठोर मल शिराओं में बने मस्सों से रगड़ खाता है‚ जिससे मस्से कट-फट जाते हैं और उनमें से खून आने लगता है।
बादी बवासीर– इस प्रकार की बवासीर में भी मस्से हो जाते है जो एनल कैनॉल के अन्दर ही होते हैं। सुबह फ्रेश होते समय इस मस्सों से मल जब रगड़ता है तो उनमें दर्द‚ जलन और सूजन की समस्या होने लगती है। यह मस्से जब बड़े हो जाते हैं तो इसमें से कभी–कभी खून भी आता है और यह गुदा के भी निकल आते हैं।
बवासीर में क्या खाएं क्या नहीं (Diet plan for piles)
जिस रोगी को बवासीर की परेशानी हो जाती है तो वह काफी परेशान रहता है और यह तय नहीं कर पाता है कि बवासीर में क्या खायें क्या नहीं। आइये “बवासीर में क्या खायें क्या नहीं” (Diet plan for piles) के इस लेख में जानते हैं कि बवासीर के मरीजों के लिये सही भोजन क्या और उससे फायदे क्या हैं –
बवासीर में सुपाच्य आहार के लाभ
दोनो प्रकार की बवासीर में गेहूं, जौ, शाली चावल, मसूर दाल, मूंग, गेहूं, टिण्डा, जायफल, परवल, लहसुन, शिमला मिर्च, लौकी, तोरई, करेला, कद्दू, मौसमी फल और सब्जियां, बथुआ, अमरूद, आंवला, पपीता, मूली की पत्तियां, फाइबर पाए जाने वाले फल जैसे, खीरा, गाजर, सेम, बीन्स इत्यादि का सेवन करना चाहिये इसके अलावा काला नमक और मठ्ठा का सेवन करना चाहिए। इस सब्जियों और दालों के खाने से पेट में कब्ज की शिकायत कम रहेगी जिसके कारण बवासीर में होने वाले दर्द‚ जलन‚ सूजन इत्यादि में काफी फायदा मिलेगा।
बवासीर के रोग में पानी पीने के फायदे
इस लेख “बवासीर में क्या खाएं क्या नहीं” (Diet plan for piles) में बात करते है पानी की । बवासीर के मरीज को भरपूर मात्रा में पानी पीना चाहिये। पानी पीने से कब्ज के रोग में लाभ होने के साथ-साथ मल त्यागने में आसानी होती है और शरीर भी हाइड्रेट बना रहता है। इसके अलावा पालक, सेब, केला, संतरा, गाजर और खीरा इत्यादि के जूस का सेवन कर सकते हैं। जूस का सेवन करने से बवासीर की समस्या मे लाभ होता है।
बवासीर में अंकुरित अनाज खाने से फायदे
इस लेख “बवासीर में क्या खाएं क्या नहीं” (Diet plan for piles) में सबसे महत्वपूर्ण बात करते है अंकुरित अनाज की । बवासीर में अंकुरित अनाज खाने से फायदा मिलता है क्योंकि अंकुरित अनाज में फाइबर की मात्रा अधिक होती है। बवासीर की समस्या में डॉक्टर साबुत अनाज खाने की सलाह देते है, जैसे ओट्स, ब्राउन राइस और होल ब्हीट इत्यादि। इनका सेवन करने से मल नरम होता है और कब्ज की समस्या दूर करने में आसानी हो जाती है, जिससे मल त्याग ने पर दर्द और ब्लीडिंग कम होती है।
बवासीर में सेब खाने से फायदा
“बवासीर में क्या खाएं क्या नहीं” (Diet plan for piles) के विषय पर लिखे इस लेख में सेब खाने के फायदे बताये गये है। सेब खाने से बवासीर को कम किया जा सकता है‚ क्योंकि एक सेब में 4.4 ग्राम फाइबर पाया जाता है जो मल त्यागते समय होने वाली समस्या में लाभ पहुंचाता है और पाइल्स की समस्या को बढ़ने से रोकने मदद करता है। इसलिए बवासीर में सेब खाने की सलाह दी जाती है।
पाइल्स में नाशपाती खाने से लाभ
पाइल्स की समस्या में लाभ पाने के लिए नाशपाती का सेवन कर सकते हैं। बवासीर रोग में फाइबर युक्त आहार लेना चाहिए, क्योकि एक नाशपाती में 5.5 ग्राम फाइबर पाया जाता है। इस लिए पाइल्स की समस्या में नाशपाती खाना फायदेमंद माना जाता है।
बवासीर की समस्या में फल खाने से लाभ
बवासीर की समस्या में फलों का सेवन करना फायदेबंद माना जाता है। सेब केला, अंगूर और संतरा इत्यादि फलों में मिनरल्स, फाइबर और विटामिन अच्छी मात्रा में पाये जाते हैं, जो बवासीर में बहुत फायदेमंद साबित होते हैं।
बवासीर में हरी और पत्तेदार सब्जियां खाने से लाभ
पाइल्स के रोग में हरी पत्तेदार सब्जियां खाने से इस रोग को कम करने में मदद मिलती है, क्योकि पत्तेदार सब्जियों में विटामिन्स, मिनरल्स और एंटी–ऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं, जो पाइल्स के लक्षणों को कम करने में मदद करते है। हरी और पत्तेदार सब्जियां जैसे, गाजर, खीरा, पालक, पत्तागोभी, ब्रोकोली इत्यादि का उपयोग बवासीर के रोगी को खूब करना चाहिये। दोस्तों “बवासीर में क्या खाएं क्या नहीं” (Diet plan for piles) के विषय पर लिखे इस लेख में हरी और पत्तेदार सब्जियां खाने के फायदे आपको जरूर अच्छे लगे होंगे।
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बवासीर में मठ्ठे के सेवन से लाभ
बवासीर की समस्या में छाछ का सेवन करने से फायदा होता है। इसके प्रयोग से शरीर में ठंडक का अनुभव होता है, इसलिए उत्तेजित नसें शांत होती हैं। छाछ से शरीर से सूजन कम होती है और गुदा मार्ग में इन्फेक्शन को ठीक करने में सहायता मिलती है। इसके साथ-साथ ये पाइल्स के लक्षणों को भी कम करता है।
बवासीर में केले से लाभ
केला में प्रचुर मात्रा में फाइबर पाया जाता है। एक केले को एक कप दूध में मिलकार दिन में 3-4 बार सेवन करने से पाइल्स में होने वाले दर्द से राहत मिलती है और पाचन तंत्र को भी अच्छा बना रह सकता है। केले में प्रचुर मात्रा में फाइबर पाया जाता है।
बवासीर में हर्बल चाय से लाभ
बवासीर की समस्या में हर्बल चाय के उपयोग से फायदा मिलता है। मार्केट में अनेक तरह की हर्बल चाय मिलती हैं। डॉक्टर की सलाह के अनुसार किसी एक हर्बल चाय का प्रयोग कर सकते है। इस का सेवन करने से मल त्याग के समय कम खून होता है और सूजन कम करने में भी मदद मिलती है।
बवासीर में दही से लाभ
बवसीर के रोग में दही का सेवन करना बहुत ही लाभदायक होता है। ये पाइल्स में होने वाली सूजन को दूर करता है। दही में प्रो–बायोटिक बैक्टीरिया पाये जाते हैं, जो कब्ज को दूर करने में और पाचन शक्ति को बढ़ाने में काफी मदद करते हैं।
फलियां खाने से बवासीर में लाभ
फलियों में फाइबर की मात्रा बहुत ज्यादा पायी जाती है, जिसके कारण मल को नरम करने में मदद मिल सकती है, जिससे मल त्यागते समय होने वाली समस्या को कम करने में फायदा हो सकता है। यही कारण है कि फलियों का सेवन बवासीर के लिए अच्छा माना जाता है।
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बवासीर की समस्या में क्या नहीं खाना चाहिये
वैसे तो बवासीर की समस्या में बादी सब्जियां जैसे कटहल, बैंगन, घुइया (अरबी), भिंडी, कच्चा आम और मिर्च इत्यादि का सेवन करने से परहेज करना चाहिये। इसके अलावा किसी भी प्रकार की बवासीर में मैदा, उड़द दाल, काबुली चना, मटर, सोयाबीन, छोले, तेल, गुड़, तला हुआ भोजन जैसे, समोसा, पकोड़ी, पराठा, चाट, पापड़ के अलावा बेकरी उत्पाद और जंक फूड का सेवन भी नही करना चाहिए। “बवासीर में क्या खायें क्या नहीं” के इस लेख में आइये जानते हैं कि इस सब खाद्य सामग्रियों के अलावा भी बवासीर में क्या नहीं खाना चाहिये।
बवासीर (पाइल्स) में तैलीय और मसालेदार भोजन से नुकसान
पाइल्स के रोग में तैलीय और मसालेदार भोजन जैसे, समोसा, पकोड़ी, पराठा, कचौरी और फ्रेंच फ्राइजका सेवन नही करना चाहिए। ज्याद तेल और मसालेदार भोजन पाचन तंत्र को कमजोर कर देता है, जिससे कब्ज की समस्या बढ़ जाती है। कब्ज की समस्या बढ़ने पर बवासीर के रोगी को दर्द और अन्य समस्यायें भी बढ़ जातीं हैं। इसलिए बवासीर में इस प्रकार के भोजन का सेवन करने से बचना चाहिये।
बवासीर में चाय और कॉफी से नुकसान
बवासीर की समस्या में चाय और कॉफी का उपयोग नहीं करना चाहिए‚ क्योंकि इसमे कैफीन पाया जाता है। जो बवासीर के रोग को बढ़ा सकता है। चाय और कॉफी का सेवन करने से शरीर में जल की कमी हो जाती है, जिसके कारण मल टाइट हो जाता है। कठोर मल के कारण सुबह मल त्याग के समय दर्द और खून आने की समस्या बढ़ जाती है।
बवासीर में प्रोटीन का सेवन करने से नुकसान
बवासीर की समस्या में ज्यादा मात्रा में प्रोटीन का सेवन नही करना चाहिए‚ क्योंकि प्रोटीन काम्प्लेक्स कम्पांउड है। काम्प्लेक्स कम्पाउंड को सरलता से नहीं पचाया जा सकता है। इसे पचाने में पेट को बहुत कठिनाई होती है यदि प्रोटीन सही से नहीं पचा तो मलाशय मे दर्द, जलन और कब्ज जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
पाइल्स में डेयरी उत्पाद खाने से नुकसान
पाइल्स की समस्या में डेयरी उत्पाद जैसे, पनीर, दूध, चॉकलेट, आइसक्रीम को नहीं खाना चाहिए। इन पदार्थों में प्रोटीन ज्यादा मात्रा में पाया जाता है, जिससे कारण कब्ज जैसी समस्या उत्पन्न हो सकती है।
“बवासीर में क्या खायें क्या नहीं” (Diet plan for piles) के इस नुकसान वाले विषय में आप ने विस्तार जाना कि इन सब खाद्य सामग्रियों को प्रयोग करने से बवासीर में कितने ज्यादा नुकसान हैं और इन खाद्य सामग्रियों क्यों नहीं खाना चाहिये।
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लोगों द्वारा पूंछे जाने वाले कुछ प्रश्न और उनके उत्तर
बवासीर की समस्या में कौन-कौन से फल खाए जा सकते हैं ॽ
बवासीर रोग में लाभ पाने के लिए नाशपाती, केला और सेब खाना अच्छा माना जाता है, इसके बारे में लेख में विस्तार से जानकारी दी गयी है।
क्या पाइल्स के रोग में दूध का सेवन किया जा सकता हैं ॽ
दूध किसी–किसी व्यक्ति के पेट में कब्ज बनाता है। जिस मरीज के पेट में दूध पीने से कब्ज न बनता हो तो वह पाइल्स की समस्या में दूध का सेवन कर सकता है।
बवासीर में क्या पीना चाहिए ॽ
बवासीर की समस्या में फाइबर युक्त आहार लेने से साथ-साथ भरपूर मात्रा में जल और जूस का सेवन करने से इस रोग में लाभ होता है। इसके सेवन से मल नरम होता है और मल त्यागने के दौरान दर्द, जलन नहीं होती है।
क्या बवासीर की समस्या में चिकन खाना अच्छा होता है ॽ
बवासीर की समस्या में चिकन का सेवन करना ठीक नहीं होता है। इस रोग में मांसाहारी आहार का सेवन नहीं करना चाहिएं। मांसाहारी खाना ज्यादा तैलीय और गरिष्ठ होता है‚ जिससे बवासीर की परेशानी और बढ़ जाती है।
क्या बवासीर के रोग में चावल खाना अच्छा होता है ॽ
बवासीर की समस्या में चावल कम खाना चाहिये। कभी–कभी ज्यादा चावल खाने से बवासीर में दर्द और सूजन की समस्यायें बढ़ जाती हैं।
क्या बवासीर के रोग में केले का सेवन कर सकते है ॽ
जी हां, बवासीर की बीमारी में केले का सेवन कर सकते है, इसके बार में लेख में विस्तार से जानकारी दी गयी।
निष्कर्ष
बवासीर एक तकलीफदेह बीमारी है। “बवासीर में क्या खायें क्या नहीं” के इस लेख में विस्तार से जानकारी दी गयी है जिसमें हमने जाना परहेज करना बहुत जरूरी होता है। बवासीर के मरीज को परहेज के साथ–साथ ऐसी दवाओं का भी सेवन करना चाहिये जो बवासीर के मस्सों को सुखा कर खत्म कर सकें। आजकल बाजार में और ऑनलाइन दोनो जगह ऐसी दवायें उपलब्ध हैं जो बवासीर के मस्सों को सुखा कर समाप्त कर देतीं है। एक बार जब बवासीर के मस्से सूख जाते है तो बवासीर की समस्या हमेशा के लिये समाप्त हो जाती है।
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सन्दर्भ :